रिश्तों की राजनीति- भाग 24
भाग 24
अगले दिन शाम को सिद्धि और अभिजीत कैफ़े में मिलते हैं। सिद्धि अभिजीत को बताती है कि बाबा ने उनकी शादी के लिए साफ़ मना कर दिया है। इस बारे में उसने सान्वी और अक्षय से बात की थी। अक्षय का रवैया भी बाबा की तरह ही था, लेकिन सान्वी ने उम्मीद दिखायी है, उससे जो बन सकेगा, वो हमारे रिश्ते के लिए करेगी।
ये बात सुनकर अभिजीत को तसल्ली मिलती है और अपनी बहन की समझदारी पर खुशी भी होती है। वो कहता है कि वो भी आज रात को अपने बाबा से और सान्वी से बात करेगा इस बारे में।
सिद्धि अभिजीत के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखते हुए पूछती है….अगर मेरे बाबा हमारी शादी के लिए नहीं माने तो हमारा अगला कदम क्या होगा?
कोर्ट मैरिज और क्या?
अभिजीत मैं एक राजनितिक परिवार से हूँ। मेरे एक गलत कदम से बाबा की राजनितिक छवि पर दाग लग सकता है। फिलहाल अभी मेरी यही कोशिश रहेगी कि कोर्ट मैरिज की नौबत न आए, सबकी रजामंदी से हमारा विवाह हो जाये।
और अगर सबकी रजामंदी न मिली तो क्या करोगी?
मैं इतना यकीन से कह सकती हूँ कि तुम्हारे सिवा किसी और से शादी नहीं करुँगी और तुमसे भी यही उम्मीद रखूंगी कि तुम भी किसी और से शादी नहीं करोगे।
ठीक है सिद्धि, लेकिन मुझे लगता है सान्वी के होते हुए ऐसी नौबत आएगी नहीं। सान्वी से शादी होने के बाद अक्षय कितना सुधर गया है, कितना ज़िम्मेदार हो गया है। मुझे तो अपनी बहन पर फक्र है।
तुम्हारी इस बात से मैं पूर्णतः सहमत हूँ। सान्वी के घर में आने से अक्षय में ही नहीं, बाबा के व्यवहार में भी सुधार आ गया है। पता नहीं, कौन सा जादू किया है उसने सब पर? खैर जो भी हो मुझे ख़ुशी है इस बात की कि बाबा ने सान्वी को बहुत जल्दी दिल से अपना लिया और अक्षय, सान्वी के प्यार की वजह से सुधर गया।
कुछ देर बाद दोनों वहाँ से अपने-अपने घर के लिए निकल जाते हैं। अभिजीत घर पहुँचकर आई बाबा से सिद्धि और उसके रिश्ते के बारे में बात करता है, जिसे सुनकर दोनों को ही ख़ुशी नहीं होती।
आई गुस्से से कहती है…..शरवरी का क्या होगा, बचपन से वो यह सपना संजो कर बैठी है कि भविष्य में एक दिन उसकी शादी तुझसे होगी, उसने कितना साथ दिया है तेरे बुरे वक़्त में। उसके आई बाबा क्या सोचेंगे हमारे बारे में? ऐसे तो हमारे पारिवारिक रिश्तों में खटास पड़ जाएगी।
तभी बाबा कहते हैं…..पड़ नहीं जाएगी, पड़ चुकी है। कल शरवरी के बाबा को फोन किया था तो उन्होंने ठीक से फोन पर बात नहीं की। उस वक़्त तो उनके ऐसे रूखे व्यवहार का कारण समझ नहीं आया लेकिन अब समझ आ रहा है। बात सिर्फ शरवरी की नहीं है अभिजीत, जगताप पाटिल की भी है। वो लोग क्या सोचेंगे, पहले मेरे बेटे को फंसा लिया और अब बेटी को। उन्हें लगेगा कि हमारी नज़र उनकी धन-दौलत पर है।
आई, शरवरी को लेकर तूने जो भी बातें कही हैं, मुझे वो सब मान्य है। लेकिन मैंने आज तक उसे कभी यह नहीं कहा कि मैं उससे प्यार करता हूँ और उससे शादी करूँगा। वो मेरे लिए एक दोस्त से ज्यादा और कुछ नहीं है। बाकी जगताप पाटिल और दुनिया क्या सोचती है मेरे बारे में, मुझे उसकी परवाह नहीं है।
अपनी बहन की तो परवाह है न, कि उसकी भी नहीं है? तेरी वजह से उसे कोई तकलीफ नहीं पहुँचनी चाहिए ससुराल में।
नहीं पहुंचेगी बाबा, मेरा यकीन मानिए।
इसके बाद आई बाबा उसे ज्यादा कुछ समझाने की कोशिश नहीं करते। वो समझ चुके होते हैं जब लड़की होकर सान्वी ने उनकी नहीं सुनी, तो अभिजीत तो लड़का है, वो क्या सुनेगा?
अभिजीत अपने कमरे में आकर सान्वी को फोन मिलाता है और उससे अपने और सिद्धि के बारे में बात करता है। वो उसे भरोसा दिलाती है कि उससे और अक्षय से जो बन सकेगा ,सिद्धि ताई और उसके रिश्ते के लिए वो जरूर करेंगे।
सान्वी की बात सुनकर अभिजीत के मन को तसल्ली मिलती है।
सान्वी, अक्षय से कहती है….सिद्धि ताई की शादी की बात तुम्हें बाबा से करनी होगी। मेरा इस मामले में बोलना ठीक नहीं रहेगा, बात सम्भलने की बजाय उल्टा बिगड़ जायेगी और हाँ जयदाद वाले एंगल की बात मत करना बाबा के सामने, वरना वो हमें गलत समझेंगे। बात समझे कि नहीं?
समझ गया सान्वी, लेकिन यह तो बताओ कि बोलना क्या है वहाँ जाकर।
तुम्हें कहना है कि सिद्धि ताई की शादी अभिजीत दादा से सादे ढंग से करवाने से उनकी सामाजिक छवि और बेहतर हो जायेगी और चुनाव जीतने में मददगार सिध्द होगी और अगर उन्हें यह डर है कि अभिजीत की नज़र उनके पैसे पर है तो उन दोनों के आगे वो यह शर्त रख दे कि अगर सिद्धि ताई अभिजीत दादा से शादी करेगी तो उन्हें जयदाद में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और अगर अभिजीत दादा फिर भी शादी करने के लिए तैयार हैं तो इसका मतलब दादा ताई से सच्चा प्यार करते हैं, बाकी जयदाद वाली बात सिर्फ अभिजीत दादा की नीयत समझने के लिए कही है। बाबा सिद्धि ताई को बाद में उनका हिस्सा दे सकते हैं।
समझ गए अक्षय सारी बात?
हाँ मेरी मास्टर माइंड…..
एक बात और अगर बाबा यह पूछे कि सान्वी का क्या रवैया है इस बात को लेकर, तो तुम कहोगे कि जो मेरा फैसला है, वही सान्वी का भी है।
अब जाओ और जाकर बात करो बाबा से….
इस वक़्त नहीं सान्वी, सुबह जाकर करता हूँ। मेरी पूरी रात खराब हो जायेगी ताई के चक्कर में।
मेरा वादा है तुमसे, नहीं खराब होगी। अब जाओ तुम।
ठीक है, अभी जाकर आता हूँ, तुम सोना मत।
हाँ, अक्षय ठीक है, अब जाओ तुम।
अक्षय, बाबा के कमरे में जाता है और उनसे कहता है कि उसे सिद्धि ताई के बारे में बात करनी है।
बाबा गुस्से से कहते हैं कि उन्हें सिद्धि के बारे में कोई बात नहीं करनी है, जो उन्हें कहना था, वो सिद्धि से कह चुके हैं।
अक्षय कहता है….बात ताई की जरूर है लेकिन फायदा आपका है। एक बार मेरी बात सुन लीजिये।
ठीक है, कहो तुम्हें क्या कहना है?
अक्षय, सान्वी की कही हुई सारी बातें बाबा को अच्छे से समझा देता है, जिसे सुनकर वो काफी प्रभावित हो जाते हैं। वो अक्षय से पूछते हैं यह सान्वी की सोच है या उसकी?
वो अपने बाबा से कहता है कि अपनी बहन की भलाई के बारे में सोचने के लिए उसे, सान्वी के आइडियाज की जरूरत नहीं है। वैसे भी इस मामले में जो मेरा फैसला होगा, वही उसका भी होगा।
वैसे उसका तो कहना था कि उसकी शादी धूमधाम से नहीं हुई, कम से कम उसके भाई की शादी तो धूमधाम से होनीे चाहिए।
अक्षय ने बातों ही बातों में अपने बाबा को सुना भी दिया था , उसकी शादी इतने सादे ढंग से करवाने के लिए।
खैर कुछ भी हो जगताप पाटिल खुश थे कि उनका बेटा भी अब राजनीतिक समीकरण समझने लगा है और हर बात सान्वी की मानने के बजाय वो अपना दिमाग भी चलाने लगा है।
वो अक्षय को कहते हैं…..वो सिद्धि और अभिजीत की शादी के लिए तैयार हैं, सान्वी को कहे कि वो इस बारे में अपने घर में बात करे।
अक्षय जल्दी से नीचे आता है और सान्वी को यह खुशखबरी सुनाता है। वो कहती है….चलो जल्दी से सिद्धि ताई और अभिजीत दादा को भी ये खुशखबरी सुना देते है।
अभी नहीं सान्वी, ये मेरा और तुम्हारा निजी समय है, मैं इसे गँवाना नहीं चाहता।
❤सोनिया जाधव
Seema Priyadarshini sahay
25-Sep-2022 03:48 PM
बेहतरीन रचना
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शताक्षी शर्मा
25-Sep-2022 11:06 AM
Bahut khub
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Chetna swrnkar
25-Sep-2022 09:50 AM
शानदार 👌
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